प्रेरणादायक कहानियां
अब राजा ने खुद ही पौदनिया को पकड़ने का निश्चय किया | वह अपने घोड़े के रखवाले को बुलाकर बोला कि – ” आज घोड़े को खूब खिला-पिलाकर तैयार रखो | आज मैं खुद ही पौदनिया को पकड़ने जाऊंगा |”
घोड़े का रखवाला मुस्कुरा रह गया | वह खुद ही पौदनिया था |
रात के अंधेरे में राजा महल से बाहर निकला और पौदनिया ने राज महल के धोबी का वेश धारण किया और नदी के किनारे जाकर बैठ गया | उसने अपने पास एक रुई का पुतला बनाकर रख लिया |
वह पौदनिया को खोजता हुआ राजा नदी के घाट पर पहुंचा | पौदनिया कपड़े धोने लगा | राजा ने आधी रात को पौदनिया को कपड़े धोते देखकर पूछा – ” इस समय कपड़े क्यों धो रहे हो |”
पौदनिया बोला – ” अन्नदाता! राज महल के कपड़े बहुत मूल्यवान तथा सुंदर हैं | यदि दिन में कोई चुरा ले या नजर लगा दे तो आपकी कितनी हानि हो सकती है |”
धोबी की स्वामीभक्त देखकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ | तभी पौदनिया बोला – ” अन्नदाता! आपने आज आधी रात को यहां आने का कष्ट क्यों किया |”
” मुझे पौदनिया की तलाश है |”
पौदनिया हाथ जोड़कर बोला – ” वह बदमाश पौदनिया! अन्नदाता वह हमेशा आधी रात को आता है | और मुझसे अपने पैरों की धूल धूलवाता है | आप जैसे ही हमारी बातचीत सुने, वैसे ही आप उसे पकड़ लीजिएगा |”
राजा अपने घोड़े को एक पेड़ से बांधकर अंधेरे में छिप गया | चंद्रमा न निकलने के कारण नदी के किनारे काला अंधेरा था |